Saturday, December 29, 2012

तू मेरा है-{ you are mine}

मेरी पलकों पे  सजा हर ख़्वाब तेरा है,
मेरी बांहों में तेरा, तेरी बांहों में जहान मेरा है।

तुझे तेरी रातों से चुरा में ले जाऊंगा,
वो फूलों से भरा हर रास्ता मेरा है।

तेरे आँसुओं  को मुस्कुराह बदल दिया है मैंने,
पर अब भी बहता वो अश्क मेरा है।

तेरे अकेलेपन में रंगत बिखेरने आया हूँ,
वो तेरी और बढ़ता हर कदम मेरा है।

में दूर नहीं तुझसे ऐ सनम जरा चेहरा उपर उठा,
आसमान पे दिखता वो अक्स मेरा है।

मेरी हंसी, हमसफ़र,हमकदम मेरी धड़कन हे तू,
दी जिसने लाखों दुआये, तू , वो खुद मेरा है।

लगे तुझे जरा सी चोट, तो दर्द मुझे होगा,
वो तेरे नाज़ुक कदमो के नीचे हाथ मेरा है।

तेरी मुस्कराहट है मुझे इस जहां में सबसे प्यारी,
के इसपे मर मिटने को तेयार ये दिल मेरा है।

हर ग़म हर दुःख में तेरा साथी में हूँ,
जिधर ये ग़म अब जाये वो पता मेरा है।

तेरे दिल की धडकनों को बड़े गौर से सुना है मैंने,
हर धड़कन ने जो लिया वो नाम "गागर" मेरा है।
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Thursday, December 13, 2012

कैसे बताऊँ तुम्हे-{ How do tell you }

कैसे बताऊँ तुम्हे तुम मेरे लिए क्या थे, और  क्या बन गये हो,
साँसों की खुशबू,लफ़्ज़ों की ज़ुबां, दिल की धड़कन बन गए हो।

अनजाने थे हम तुम , जब एक दूजे से मिले थे,
न तुम हमे  जानते थे , न हम  तुम्हे जानते थे।
पर हाँ अब तुम मेरे जीने की वजह बन गए हो,
कैसे बताऊँ  तुम्हे तुम मेरे लिए क्या थे और क्या बन गए हो।

कैसे बताऊँ  तुम्हे तुम मेरे लिए क्या थे, और क्या बन गये  हो
जिसकी थी मुझे तलाश कब से , वही मंजिल बन गए हो।

पहले आप फिर तुम , अब हम ही लगने लगे हो,
धडकनें बन कर अब इस दिल में ही रहने लगे हो।
हाँ रीत अब तुम हमारे जीने की वजह बन गए हो,
कैसे बताऊँ  तुम्हे तुम मेरे लिए क्या थे, और क्या बन गए हो।

कैसे बताऊँ  तुम्हे तुम मेरे लिए क्या थे, और क्या बन गए हो,
अनजानी इन राहो के , तुम मेरे हमसफ़र बन गए हो।

अब तो हर तरफ तुम ही  नज़र आने लगे हो,
न जाने क्यूँ तुम अब अपने से लगने लगे हो।
हां पहले अनजाने थे अब मेरे भगवान बन गये हो,
कैसे बताऊँ रीत तुम्हे, तुम मेरी जान थे अब जिन्दगी बन गए हो।

Tuesday, December 11, 2012

जिन्दगी की तलाश { search of life }

खोजते हुए मर जाते है सब , ये जिन्दगी भी कैसी तलाश है .
जितना भी  इसे सजाओगे, यह उतनी ही बदहवास है,
पाना चाहो सबको , पर मिलता कोई भी नहीं है
दूर हो जाते है वही,जो दिल के सबसे पास है
समंदर है गहरा इसका , सबकी प्यास बुझाता है
सभी यहाँ पर तृप्त है, पर सबको लगी एक प्यास है
जिन्दगी कैसी तू तलाश है ,
 ग़मों से ही भरी है, सुखों का तो नाम नहीं है
फैला पड़ा अँधेरा है न ही यहाँ कुछ खास है।
धोखे ,गद्दारी से है भरी, सच्चाई का नमो निशाँ नहीं है .
सब मतलबी स्वार्थी है, फिर भी कुछ आस है।
चारों तरफ अँधेरा है, कुछ भी नज़र नहीं आता,
इस काले अंधियारे में, बस जिंदगी ही उजास है।
सब आते जाते है , "गागर" सबको यहाँ से जाना ही है,
आने जाने के इस खेल में, बस जिंदगी ही खास है।
जिंदगी कैसी तू तलाश है , जिंदगी कैसी तू तलाश है। 

Sunday, December 9, 2012

गुमनामी का साया { Gumnami ka saaya }

गुमनामी का एक साया हो गया ,
देखो जो अपना था आज पराया हो गया।
कैसी ओ ज़माने ये तेरी रीत है , 
जो निभा न सको वो कैसी प्रीत है।
हाय आज ये क्या हो गया ,
देखो  जो अपना था आज पराया हो गया।

फिर से आज गम हमसाया हो गया,
देखो जो अपना था आज पराया हो गया।

याद करने से जान निकलती है पर मर भी नही पाते ,
पता नहीं हमको ये क्या हो गया।
 कुछ भी तो नहीं पर कुछ तो हो गया
भटकते है अनजानी गलियों में अकेले ,
ग़मों  से हमारी दोस्ती ख़ुशी का सफाया हो गया।
 देखो जो अपना था आज पराया हो गया।

 चाहतों की दुनिया में हमारा आशियाना टूट गया
 बेकार सब हमारा किया  कराया हो गया।
जीने नहीं देता मुझे ये जमाना,चाहत नहीं है अब जीने की,
कितना बेरहम ज़माने का नजरिया हो गया।
देखो जो अपना था आज पराया हो गया।

फिर आज गुमनामी का एक साया हो गया ,
कुछ भी तो नहीं पर कुछ तो हो गया
पता नहीं हमको ये क्या हो गया
देखो गागर , जो अपना था आज पराया हो गया ,
देखो गागर , जो अपना था आज पराया हो गया।

Sunday, December 2, 2012

​​तुमको भुलाने के लिये.{ To forget you }

हाँ ​​तुमको भुलाने के लिये में खुद को मिटाने लगा हूं.
पहले जिसे छुता तक नही था, अब हर दिन उसे पीने  लगा हूं.

सङकें गलियाँ कुत्ते चौराहे, सब जानने लगे हैं.
पुलिस चौकीदार भी पहचान ने लगे हैं.
लेकिन पहले से भी ज्यादा तुम्हे चाहने लगा हूं.
हाँ ​​तुमको भुलाने के लिये में खुद को मिटाने लगा हूं.

हाँ तुमको भुलाने के लिये में खुद को मिटाने लगा हूं.
ज़िंदगी से पिछा छुडाने के लिये हर दिन नई कोशिशें करने लगा हूं.

घर-परिवार यार-रिश्तेदार सब ताने मारने लगे हैं.
हाँ ​​गली मोहल्ले के आवारा भी कहलाने लगे हैं ..
लेकिन पहले से भी ज्यादा तुम्हे चाहने लगा हूं.
हाँ ​​तुमको भुलाने के लिये में खुद को मिटाने लगा हूं.

हाँ ​​तुमको भुलाने के लिये में खुद को मिटाने लगा हूं.
ज़िंदगी जो डुब रही थी उसी के सहारे दोबारा जीने की कोशिशें करने लगा हूं
.
अतीत के काले खण्डहर मुझे नोंचने लगे हैं
दिल - ओ - दिमाग तुमसे बदले की सोचने लगे हैं.
हद से भी ज्यादा तुमसे नफरत करने लगा हूं.
तुमको मिटाने के लिये में खुद को बसाने लगा हूं.
हाँ तुमको मिटाने के लिये में खुद को बसाने लगा हूं.

Saturday, December 1, 2012

अब तो नशे की नीन्द भी नही आती है रीत तेरे बगैर,
सबकुछ होते हुये भी जिन्दगी तन्हा सी हो गयी है तेरे बगैर.....